आपके हाथ में यह एक अनूठी पुस्तक है। जिसमें मेरे द्वारा अपनी कविताएं, संस्मरण, जीवन के अनुभव साझा किए गए है जिससे आप जीवन को समझ,जीवन में बेहतर करने हेतु प्रोत्साहित किया गया है।
इन बिन्दुओं पर व्यावहारिक रूप से इस पुस्तक में विमर्श किया गया है। यह पुस्तक मात्र उपदेशात्मक कथन की तरह न आपको जीवन की राह में अग्रसर होने के लिए प्रेरित करेगी अपितु ऐसा हमारा विश्वास है कि यह पुस्तक आपको सही रास्ता दिखाने में भी सहायक होगी।
जिंदगी न कल में है. जिंदगी न बीते हुए कल में थी, जीवन को अगर समझना है तो हर एक पल से संतुष्ट रहे, क्योकि जीवन का सफ़र कभी भी खत्म नहीं होता, न कभी आप जीवन से संतुष्ट हो सकते हो क्योकि मानव जीवन में एक इच्छा पूरी होने पर दूसरी इच्छा की कामना होने लग जाती है। हर पल को बस संतुष्ट होकर जीना चाहिए क्योंकि हमें यह नहीं पता की आने वाला पल कैसा होगा। जीवन से हमेशा संतुष्ट रहना सीखे यह केवल और केवल आपके विचारों पर निर्भर करता है।
बस निरंतर अपना कर्म करते रहे और आगे बढ़ते चले.
कहा भी गया है :-
"सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ
वो जीवन ही किया जो केवल छांव-छांव चला "
काव्यसंगम :-अनुभवों के संगम से (कविताओं का संकलन)
Divya Meena